दुनिया की 25 महान फ़िल्मों में इकलौती भारतीय फ़िल्म
एक सदी से भी ज़्यादा वक़्त गुज़रा, तब से फ़िल्में बन रही हैं. ऐसी ना जाने कितनी फिल्में हैं जिन्हें अपने दौर का शाहकार कहा जाता है.
बीबीसी कल्चर ने हर ज़बान की अनगिनत फ़िल्मों में से सौ ऐसी फ़िल्मों की फ़ेहरिस्त तैयार की है, जिन्हें सिनेमा का मास्टरपीस कहा जाता है.
इनमें से भी छांटकर 25 बेहतरीन फ़िल्मों का ज़िक्र आज यहां.
सबसे पहले बात फ़िल्म 'यी यी'की. ये एक ताइवानी और जापानी फ़िल्मी ड्रामा है, जिसमें आम जिंदगी का हरेक पहलू मौजूद है.
इस फ़िल्म के निर्देशक थे एडवर्ड येंग. येंग को सियासी और समाजी पहलुओं को एक सूत्र में पेश करने का मास्टर कहा जाता है.
और ये फ़िल्म उनके करियर की सुप्रीम मास्टरपीस कही जाती है.
24. रूसी फ़िल्म बैटलशिप पोटेमकिन
रूस की क्रांति पर बहुत सी फ़िल्में बनी हैं. लेकिन, सर्जेई आइंस्टाइन की फ़िल्म बैटलशिप पोटेमकिन उन सभी फ़िल्मों पर भारी है.
इसे सोवियत सिनेमा का कीर्तिमान कहा जाता है. हालांकि ये फ़िल्म क़रीब 90 साल पहले बनी थी लेकिन तकनीकी नज़रिए से ये उस दौर की बेहतरीन फ़िल्म है.
ये फ़िल्म सोवियत संघ में 1905 के गदर पर आधारित मूक फ़िल्म है. फिर भी दर्शकों पर अपनी गहरी छाप छोड़ती है.
इमेज कॉपीरइटALAMY
यही वो फ़िल्म थी जिसमें सबसे पहले मोंटाज का इस्तेमाल हुआ था. इसीलिए सर्जेई आइंस्टाईन को फ़ादर ऑफ़ मोंटाज कहा जाता है.
बीबीसी कल्चर ने हर ज़बान की अनगिनत फ़िल्मों में से सौ ऐसी फ़िल्मों की फ़ेहरिस्त तैयार की है, जिन्हें सिनेमा का मास्टरपीस कहा जाता है.
इनमें से भी छांटकर 25 बेहतरीन फ़िल्मों का ज़िक्र आज यहां.
सबसे पहले बात फ़िल्म 'यी यी'की. ये एक ताइवानी और जापानी फ़िल्मी ड्रामा है, जिसमें आम जिंदगी का हरेक पहलू मौजूद है.
इस फ़िल्म के निर्देशक थे एडवर्ड येंग. येंग को सियासी और समाजी पहलुओं को एक सूत्र में पेश करने का मास्टर कहा जाता है.
और ये फ़िल्म उनके करियर की सुप्रीम मास्टरपीस कही जाती है.
24. रूसी फ़िल्म बैटलशिप पोटेमकिन
रूस की क्रांति पर बहुत सी फ़िल्में बनी हैं. लेकिन, सर्जेई आइंस्टाइन की फ़िल्म बैटलशिप पोटेमकिन उन सभी फ़िल्मों पर भारी है.
इसे सोवियत सिनेमा का कीर्तिमान कहा जाता है. हालांकि ये फ़िल्म क़रीब 90 साल पहले बनी थी लेकिन तकनीकी नज़रिए से ये उस दौर की बेहतरीन फ़िल्म है.
ये फ़िल्म सोवियत संघ में 1905 के गदर पर आधारित मूक फ़िल्म है. फिर भी दर्शकों पर अपनी गहरी छाप छोड़ती है.
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यही वो फ़िल्म थी जिसमें सबसे पहले मोंटाज का इस्तेमाल हुआ था. इसीलिए सर्जेई आइंस्टाईन को फ़ादर ऑफ़ मोंटाज कहा जाता है.
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