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Showing posts from April, 2019

रोहित शेखर की 'रहस्यमय मौत' की गुत्थी सुलझेगी?

वरिष्ठ नेता नारायण दत्त त्रिपाठी के बेटे रोहित शेखर की अस्वाभाविक मौत के सिलसिले में दिल्ली पुलिस के विशेष जांच दल ने रोहित शेखर की पत्नी, उनके सौतेले भाई और घर में काम करने वाले तीन कर्मचारियों से सवाल जवाब किए हैं. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच इस अस्वाभाविक मौत को 'हत्या की आशंका' मान कर जांच कर रही है और जांच की दिशा भी उसी ओर है. दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी का कहना है कि पोस्ट मार्टम की रिपोर्ट में शेखर की गर्दन की दो हड्डियों के टूटने की बात सामने आयी है, जो हत्या की आशंका को बढ़ा देते हैं. फ़िलहाल पुलिस के शक के दायरे में शेखर की पत्नी अपूर्वा के साथ साथ कुछ और लोग भी हैं, जिनसे पूछताछ का सिलसिला जारी है. विशेष जांच दल यानी स्पेशल इंवेस्टिगेटिंग टीम का नेतृत्व दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच के डीसीपी जॉय तिर्की कर रहे हैं. पुलिस कई पहलुओं पर जांच कर रही है जिसमे शेखर की माँ उज्ज्वला के द्वारा लगाए गए आरोप भी हैं. दिल्ली पुलिस के अधिकारी का कहना है कि रोहित शेखर की माँ उज्ज्वला शर्मा ने पुलिस को दिए बयान में आरोप लगाया कि एनडी तिवारी के निजी सचिव रह चुके एक व्

शोरूम में कैरी बैग के लिए पैसे देते हैं, तो न दें

किसी शोरूम में सामान खरीदने के बाद जब आप काउंटर पर जाते हैं तो अक्सर कैरी बैग खरीदने के लिए कहा जाता है. आप कभी 3 या 5 रुपये देकर ये बैग खरीद लेते हैं या कभी इनकार करते हुए ऐसे ही सामान ले जाते हैं. लेकिन, चंड़ीगढ़ में एक शख़्स ने बाटा के शोरूम से 3 रूपये में बैग तो खरीदा पर उन्हें इसके बदले में 4000 रूपये मुआवज़े में मिले. अक्सर शोरूम में सामान रखने के कैरी बैग के लिए 3 से 5 रूपये लिए जाते हैं. अगर आप कैरी बैग खरीदने से इनकार करते हैं तो आपको सामान के लिए किसी भी तरह का बैग नहीं दिया जाता. चंडीगढ़ के रहने वाले दिनेश प्रसाद रतुड़ी ने 5 फरवरी, 2019 को बाटा के शोरूम से 399 रूपये में जूते खरीदे थे. जब उनसे काउंटर पर कैरी बैग के लिए पैसे मांगे गए तो उन्होंने पैसे देने से इनकार कर दिया. उनका कहना था कि कैरी बैग देना कंपनी की जिम्मेदारी है. हालांकि, आखिर में कोई विकल्प न होने पर उन्हें बैग खरीदना पड़ा. कैरी बैग सहित उनका बिल 402 रूपये बन गया. इसके बाद दिनेश ने चंडीगढ़ में जिला स्तरीय उपभोक्ता फोरम में इसकी शिकायत की और शुल्क को गैर-वाजिब बताया. इस शिकायत पर सुनवाई के बाद उपभोक

प्रणब ने कहा- काल्पनिक बहादुरी से देश नहीं चल सकता, अपेक्षाएं पूरी करने वाले नेता चाहिए

नई दिल्ली. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि भारत को ऐसे नेताओं की जरूरत है जो लोगों की बढ़ती अपेक्षाओं को पूरा कर सकें। काल्पनिक बहादुरी (क्विकजॉटिक हीरोइज्म) से देश का नेतृत्व नहीं किया जा सकता। '1% लोगों के पास देश की 60% संपत्ति' एआईएमए मैनेजिंग इंडिया अवॉर्ड्स देने के दौरान प्रणब ने कहा, "देश से गरीबी दूर करने के लिए अभी भी काफी कुछ किया जाना बाकी है। स्थिति तब और खराब हो जाती है जब भारत के महज 1% लोगों के पास देश की 60% संपत्ति है। ये आंकड़े बताते हैं कि हमारी ग्रोथ को और ज्यादा समावेशी बनाने की जरूरत है।" मुखर्जी के मुताबिक- 2005-06 के बाद के दशक में 27 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी से बाहर आ चुके हैं। देश में गरीबी की दर पिछली अवधि में करीब आधी हो गई है। यह एक सकारात्मक पक्ष है। 26.9 करोड़ लोग अभी भी गरीबी रेखा से नीचे रह रहे हैं, यह चिंता की बात है। पूर्व राष्ट्रपति ने कहा- फायदे के लिए जो लोग धन कमाते हैं, इसी के चलते असमानता पैदा होती है। उद्योगपतियों और नीति निर्माता केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं बल्कि रोजगार सृजन और बड़ी संख्या में लोगों क

तीन महीने से ब्रेन डेड महिला बनी मां

पुर्तगाल में एक 26 वर्षीय महिला खिलाड़ी ने गुरुवार को बच्चे को जन्म दिया और इसके बाद उनकी मौत हो गई. दिसंबर महीने से ही महिला ब्रेन डेड यानी मानसिक रुप से मृत थीं. अंतरराष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी रहीं कथरीना सेकेरा को दिसंबर महीने में तेज़ दमा का दौरा पड़ा था जिसके बाद उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था. 32 सप्ताह के गर्भ के बाद ही इस बच्चे का जन्म हुआ जिसका नाम स्लवाडोर रखा गया है. स्लवाडोर इस वक्त नियोनेटल अस्पताल की निगरानी में हैं. पुर्तगाल में ये दूसरा मामला सामने आया है जहां एक ब्रेन डेड महिला ने बच्चे को जन्म दिया है. सेकेरा बेहद प्रतिभाशाली कैनोइस्ट (नाविक खिलाड़ी) थीं. उन्होंने अपने देश का प्रतिनिधित्व भी किया था लेकिन उन्हें बचपन से ही अस्थमा से पीड़ित थीं. सेकेरा को अस्थमा का दौरा जब पड़ा तो वह 19 महीने की गर्भवती थीं. ये दौरा इतना खतरनाक था कि वह कोमा में चली गईं इसके कुछ दिन बाद डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया. उन्हें 56 दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा गया ताकि उनके गर्भ में पल रहा बच्चा ज़िंदा रहे. ख़ुद को बस बच्चे के लिए ज़िंदा रखा डॉक्टरों ने बताय